बिहार का पर्यावरण (Bihar Environment)

                                        बिहार का पर्यावरण (Bihar Environment) 



बिहार का पर्यावरण (Bihar Environment) राज्य का प्राकृतिक और जैविक वातावरण विविधताओं से भरा हुआ है। बिहार में विभिन्न प्रकार की जलवायु, वनस्पतियाँ, जीव-जंतु, नदियाँ और पर्यावरणीय संरचनाएँ पाई जाती हैं। यहाँ का पर्यावरण राज्य के विकास, कृषि, और जीवनशैली पर गहरा प्रभाव डालता है। बिहार की पर्यावरणीय संरचना का गहरा संबंध उसकी भू-आकृति, जलवायु और जल स्रोतों से है।

1. भूगोल और भौतिक संरचना:

बिहार भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित है और इसकी सीमा उत्तर में नेपाल से लगती है। यहाँ की भौगोलिक संरचना मुख्य रूप से मैदानी है, जिसमें गंगा नदी और उसकी सहायक नदियाँ जैसे कोसी, गंडक, सोन, पुनपुन आदि महत्वपूर्ण जलधाराएँ हैं। इन नदियों का बिहार के पर्यावरणीय संतुलन पर बहुत बड़ा प्रभाव है। इन नदियों से सिंचाई, मछली पालन, परिवहन और जल आपूर्ति होती है, लेकिन इनकी बाढ़ प्रवृत्तियाँ भी राज्य के पर्यावरणीय समस्याओं में शामिल हैं।

2. जलवायु:

बिहार की जलवायु मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय मानसूनी है, जिसमें गर्मी, बारिश और सर्दी तीन प्रमुख मौसम होते हैं।

  • गर्मी: गर्मी के मौसम में तापमान 40°C तक पहुंच सकता है।
  • मानसून: बिहार में जून से सितंबर तक मानसून का मौसम होता है, जब भारी वर्षा होती है।
  • सर्दी: नवंबर से फरवरी तक सर्दी का मौसम रहता है, जिसमें न्यूनतम तापमान 5°C तक गिर सकता है।

वर्षा का असमान वितरण और बाढ़ की समस्या यहाँ के पर्यावरणीय संतुलन के लिए चुनौतीपूर्ण है।

3. वनस्पति और जैविक विविधता:

बिहार में वनस्पति की विविधता पाई जाती है। यहाँ के जंगलों में साल, बांस, पीपल, बरगद, तुलसी, और नीम जैसे वृक्ष पाए जाते हैं। राज्य में बिहार का वन क्षेत्र कुल भौगोलिक क्षेत्र का कुछ प्रतिशत है, और यह वन जीवों और पौधों की कई प्रजातियों का घर है।

जैविक विविधता के संदर्भ में, बिहार में बहुत सी पक्षियों और जानवरों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ के कुछ प्रमुख जीव-जंतु जैसे हाथी, तेंदुआ, भालू, सांप, आदि हैं। इसके अलावा, बिहार में कछुआ, घड़ियाल और मगरमच्छ जैसी जलचरों की प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, विशेष रूप से गंगा नदी और अन्य जलस्रोतों में।

4. नदियाँ और जल स्रोत:

बिहार की प्रमुख नदी गंगा है, जो राज्य के उत्तर से दक्षिण तक बहती है। इसके अलावा, कोसी, गंडक, सोन और बागमती जैसी नदियाँ भी राज्य में जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत हैं। हालांकि, ये नदियाँ हर साल बाढ़ का कारण भी बनती हैं, जिससे पर्यावरणीय और मानवीय संकट पैदा होते हैं।

  • गंगा नदी: गंगा नदी बिहार के लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन इसका प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या है।
  • कोसी नदी: कोसी नदी का प्रवाह अस्थिर और परिवर्तनशील है, जो बाढ़ के कारण राज्य में बहुत अधिक क्षति पहुँचाता है।

5. पर्यावरणीय समस्याएँ:

बिहार में पर्यावरण से संबंधित कुछ प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं:

  • बाढ़ और जलवायु परिवर्तन: राज्य में बार-बार बाढ़ आना एक गंभीर समस्या है, जो नदियों की अनियंत्रित धारा और जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रही है। हर साल बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित होते हैं।
  • प्रदूषण: जल, वायु और मृदा प्रदूषण भी बिहार के पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है। गंगा नदी में भारी प्रदूषण पाया जाता है, और कई औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या है।
  • वनों की अन्धाधुंध कटाई: वनस्पतियों की अन्धाधुंध कटाई और अवैध लकड़ी की कटाई के कारण प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान हो रहा है।
  • मिट्टी का कटाव और क्षरण: कुछ क्षेत्रों में मिट्टी का कटाव और खराब कृषि पद्धतियों के कारण कृषि भूमि का नुकसान हो रहा है।

6. पर्यावरण संरक्षण के प्रयास:

  • वन संरक्षण: बिहार में वन क्षेत्र को बढ़ाने और जंगलों की रक्षा के लिए कई योजनाएँ बनाई गई हैं।
  • नदियों की सफाई: गंगा और अन्य नदियों के प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा सफाई अभियान चलाए जाते हैं। गंगा की सफाई के लिए केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना भी लागू है।
  • सौर ऊर्जा और हरित ऊर्जा: बिहार में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सौर ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर जोर दिया जा रहा है।

7. पर्यावरणीय योजनाएँ और नीतियाँ:

  • राज्य जल और पर्यावरण नीति: बिहार सरकार ने जल, भूमि और पर्यावरण संरक्षण के लिए कई नीतियाँ तैयार की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग और उनका संरक्षण करना है।
  • प्राकृतिक आपदा प्रबंधन: बाढ़, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए बिहार सरकार ने एक विस्तृत आपदा प्रबंधन योजना बनाई है।

निष्कर्ष:

बिहार का पर्यावरण विविधताओं से भरपूर है, लेकिन यहाँ की जलवायु, नदियों, और प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी बढ़ रहा है। प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, बाढ़ जैसी समस्याएँ राज्य के पर्यावरणीय संतुलन के लिए खतरा बन चुकी हैं। हालांकि, बिहार सरकार और विभिन्न संगठन पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कदम उठा रहे हैं, लेकिन इन समस्याओं से निपटने के लिए व्यापक और दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है।

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